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Noida: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हमारी आस्था और संजीवनी हैं: राजा बाबू सिंह

Noida: भारतीय संस्कृति का मूलाधार सनातन संस्कृति है, जिसके संवाहक प्रभु श्रीराम विभिन्न रूपों में हम सब में प्राण वायु संचरित करते हुए जीने की राह दिखाते और निरंतर सत्कर्म करने की प्रेरणा देते हैं। वह जगत के सभी प्राणियों की रक्षा करने वाले हमारे हृदय के स्पंदन हैं, जिनके बिना जीवन शून्य सा है। उक्त उद्गार राजा बाबू सिंह ने जीएनआईओटी, नोएडा में ‘विविधताओं में प्रभु श्री राम’ विषयक ‘चित्रकार शिविर’ और ‘प्रदर्शनी’ के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित करके प्रभु श्री राम के चित्र पर पुष्पार्पण से किया गया। मेघवर्ण आर्ट गैलरी की चेयरमैन रचना राणा ने सभी मंचस्थ अतिथियों एवं चित्रकारों को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया तथा कार्यक्रम की रुपरेखा सौरभ सिंह ने प्रस्तुत की। जीएनआईओटी, नोएडा के सभागार में मेघवन आर्ट गैलरी, जीएनआईओटी, नोएडा और उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अयोध्या शोध संस्थान के सहयोग से राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों का एक चित्रकार शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें नितिका देव, कविता राजपूत, राम ओमकार, के. विश्वनाथन, सुमित ठाकुर, केके रस्तोगी, मुकुंद त्रिवेदी, शौर्या शाही, मांगेराम शर्मा, विनोद कंवर, संगीता मूर्ति, अजय समीर, दिलीप चंदोलिया, नवल किशोर तथा आदित्य आदि ने रामकथा के विविध प्रसंगों पर आधारित श्रीराम की अत्यंत मनोहारी छवियां उकेरी थीं।

छत्तीसगढ़ की रामनामी गोदना प्रथा से प्रेरित प्रयागराज की प्रतिभा पांडेय ने दस फीट के लंबे कैनवस पर प्रभु श्रीराम की सूक्ष्मतम अंकनयुक्त एक पेंटिंग लगाई थी, जो साधना और कला का अप्रतिम उदाहरण के साथ आकर्षण का केंद्र थी। अंतरराष्ट्रीय चित्रकार नवल किशोर ने इस शिविर में अपने चित्रांकन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के भौतिकवादी युग में नैतिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना अत्यंत आवश्यक है, जिसमें ऐसे आयोजनों का उल्लेखनीय योगदान है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रतीक त्रिवेदी ने चित्रकार शिविर में प्रभु श्री राम के विभिन्न छवियों को रंग और तूलिका के माध्यम से आम जान के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए सभी चित्रकारों को बधाई दी और आयोजकों को इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी करते रहने की सलाह दी। इस अवसर पर अनिल सिंह सिसोदिया ने रामो विग्रहवान धर्मः की प्रतिष्ठापना करते हुए प्रभु श्री राम के जीवन से प्रेरणा लेने का संकल्प दोहराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एमिटी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के निदेशक डॉ. एमके दत्ता ने कहा कि प्रभु श्री राम नैतिक मूल्यों की अवस्थापना के सर्वोत्तम नायक हैं, जिन्होंने आम जन से स्वयं को सीधे जोड़कर लोक में रामत्व को प्रतिष्ठित किया। चित्रकारों की नजर में प्रभु श्री राम पर अपने विशिष्ट उद्बोधन में आरएन सिंह ने कहा कि प्रभु श्री राम के विविध रूपों को एक कैनवस में पिरोना आसान कार्य नहीं है, लेकिन इन चित्रकारों ने अपने अपने राम को अपने अपने ढंग से चित्रित किया है, जिसकी निश्चित रूप से सराहना होनी चाहिए। ऐसे मंच और अवसर इसके उचित माध्यम हो सकते हैं।

इस मौके पर युवा लेखिका और एमिटी यूनिवर्सिटी की शोध छात्रा विभू बाजपेई की पुस्तक Intrinsic Perception of Ramayan का विमोचन हुआ, जिसे अनामिका प्रकाशन, प्रयागराज ने प्रकाशित किया है। विभू ने इस पुस्तक में रामायण के नए परिप्रेक्ष्य को रेखांकित करते हुए बताया कि रामायण हमें भविष्य की दिशा प्रदान करने के साथ ही समसामयिक- सामाजिक एवं राजनीतिक परिदृश्य में सह अस्तित्व और समभाव के साथ नारी सशक्तिकरण के विविध आयामों की एक नई राह दिखाता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम उसका परम्परागत तरीके से अध्ययन और विश्लेषण करने के बजाय विज्ञान, तकनीक और संवेदना के मध्य सामंजस्य बिठाते हुए उसके मूल अभिप्रेत को समझने की कोशिश करें। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. बिदिशा बनर्जी ने कहा कि आज के युग की मांग है कि हम रामायण की कहानियों का युग सापेक्ष अध्ययन और उसका अनुगमन करें। इसी क्रम में विभू बाजपेई ने भरतनाट्यम शैली में श्री राम के जन्म से लेकर केवट मिलन तक का प्रसंग रघुनाथ गाथा नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत कर सभी का दिल जीत लिया। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त विभू बाजपेयी की प्रस्तुति में उनके कलात्मक अभिनय की बारीकियां बखूबी दिखाई दी।

कार्यक्रम में सभी अतिथियों का औपचारिक स्वागत जीएनआईओटी के चेयरमैन डॉ. राजेश गुप्ता, धन्यवाद ज्ञापन अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी तथा मंच संचालन डॉ. विशाल पांडेय ने किया। समारोह में नॉएडा के निखिल गुप्ता, विशाल यादव, ब्रह्मपाल नागर, एमिटी यूनिवर्सिटी तथा जीएनओआईटी की छात्र-छात्राओं सहित अनामिका प्रकाशन के विनोद शुक्ल आदि की गरिमामय उपस्थिति रही।

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