लखनऊ

UPPCL: फर्म को भेजा नोटिस, रोका गया काम, गर्मि‍यों में ब‍िजली कटौती की बड़ी वजह आई सामने

लखनऊ: गर्मियों में प्रदेशवासियों को बिजली कटौती से इसलिए भी जूझना पड़ रहा है, क्योंकि जिन एल्युमिनियम तारों के जरिए उपभोक्ताओं के घर के आसपास के पोल तक बिजली पहुंचती है वही बेहद घटिया है। आए दिन एबीसी (एरियल बंच कंडक्टर) के जलने और टूटने की घटनाओं के मद्देनजर पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष द्वारा कराई गई जांच में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड(डिस्काम) को आपूर्ति किया गया एबीसी एक-दो नहीं बल्कि कुल 13 में से नौ मानकों पर खरा नहीं उतरा। घटिया पाए गए एबीसी को लगाने से रोकने के साथ ही आपूर्तिकर्ता फर्म (मेसर्स वी-मार्क इंडिया लिमिटेड, हरिद्वार) को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया जा रहा है। कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने अन्य डिस्कॉम में लगाए जा रहे एबीसी की जांच के भी आदेश दिए हैं।

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घटिया एबीसी आपूर्ति करने वाली फर्मों को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही दोषी अभियंताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने एबीसी खरीदने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए आपूर्ति किए गए सभी एबीसी के नमूने की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग की है।

दरअसल, कटिया लगाकर बिजली चोरी करने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेशभर में अब एबीसी लगाए जा रहे हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान ही लगभग एक लाख किलोमीटर एबीसी लगाया गया है। गौर करने की बात यह है कि सरकार के 24 घंटे बिजली आपूर्ति के दावों के बावजूद भीषण गर्मी में कहीं न कहीं एबीसी के जलने व टूटने से न केवल आपूर्ति ठप हो रही थी बल्कि दुर्घटनाएं भी हो रही थी। ऐसे में पश्चिमांचल डिस्काम के तहत मुरादाबाद, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर, गजरौला, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद व नोएडा आदि में लगाए जाने को आपूर्ति किए गए एबीसी के ड्रम संख्या(2579) से नमूना लेकर उसे जांच के लिए सीपीआरआइ (सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट) नोएडा के साथ ही बड़ोदरा व गाजियाबाद के संस्थान को भेजा गया था।

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सीपीआरआई ने 13 मानकों पर एबीसी की जांच की जिसमें से नौ में नमूना फेल हो गया। लगभग 200 किमी एबीसी आपूर्ति का आर्डर पाने वाली फर्म के नमूने में पाया गया कि तय मानक के अनुसार जिस एबीसी के एल्युमिनियम का वजन प्रति किमी 1016 किलोग्राम होना चाहिए था वह 867 किलोग्राम ही है। मतलब यह कि प्रति किमी 149 किलोग्राम एल्युमिनियम की बचत कर हल्का एबीसी आपूर्ति किया गया।

इसी तरह एबीसी के साथ न्यूट्रल तार के वजन में भी लगभग 34 किलोग्राम की कमी पाई गई है। 256 किलोग्राम प्रति किलोमीटर के बजाय 221 किलोग्राम प्रति किलोमीटर का न्यूट्रल तार डिस्काम को आपूर्ति किया गया। इसी तरह तार पर लगे इंसुलेशन भी बेहद घटिया पाई गई। मानक के मुताबिक तार के गरम होने से पहले ही इंसुलेशन गल गई। खींचने के मानक पर भी एबीसी फेल होकर टूट गया। जांच में बड़ोदरा भेजा गया एबीसी का नमूना भी फेल हो गया है।

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घटि‍या एबीसी के कारण 75 प्रतिशत से ज्यादा ब्रेकडाउन

ऐसे में संबंधित स्टोर इंचार्ज को फर्म द्वारा आपूर्ति किए गए एबीसी को स्टोर से न जारी करने के साथ ही कहीं भी लगाने से रोकने के निर्देश दिए गए हैं। जानकारों के मुताबिक, संबंधित फर्म को 300 करोड़ रुपये का और आर्डर देने की तैयारी है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने 20 जुलाई को बिजली की दरों संबंधी मेरठ में नियामक आयोग की जन सुनवाई में कहा था कि 75 प्रतिशत से ज्यादा ब्रेकडाउन (स्थानीय दोष से बिजली की आपूर्ति ठप होना) घटिया एबीसी के कारण ही हो रहे हैं।

NEWS SOURCE Credit : jagran

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