समाधान दिवस में 3 घंटे देरी से पहुंचे लखनऊ DM, नाराज हुए फरियादी बोले- ‘समस्या ऐसे कैसे होगी दूर?’

लखनऊ : लखनऊ जिले के जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर शनिवार को मोहनलालगंज तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस पर निर्धारित समय से करीब तीन घंटे देरी से पहुंचे। इस देरी को लेकर फरियादियों में नाराजगी देखने को मिली। वे सुबह 10 बजे से डीएम का इंतजार कर रहे थे, जबकि डीएम दोपहर 1:15 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।
फरियादियों में दिखा गुस्सा
कई फरियादियों ने मौके पर ही नाराजगी जताते हुए कहा कि, “जब डीएम साहब ही समय पर नहीं पहुंचते तो आम जनता की समस्याओं का समय पर समाधान कैसे होगा?” कुछ ने यहां तक कहा कि समाधान दिवस अब महज औपचारिकता बन कर रह गया है।
मुख्य विकास अधिकारी ने की सुनवाई
डीएम की अनुपस्थिति में मुख्य विकास अधिकारी (CDO) अजय जैन ने शिकायतों को सुना और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। हालांकि, कुछ फरियादियों ने कहा कि वे अपनी शिकायत सीधे डीएम से करना चाहते थे, लेकिन डीएम के देर से आने के कारण उन्हें निराशा हाथ लगी।
प्रशासन की ओर से सफाई नहीं आई
घटना के बाद न तो जिलाधिकारी कार्यालय और न ही जनसंपर्क विभाग की ओर से डीएम के विलंब का कोई कारण स्पष्ट किया गया। इस पर भी कई लोगों ने सवाल उठाए कि “समाधान दिवस जैसे कार्यक्रमों में समय की पाबंदी क्यों नहीं होती?”
क्या है समाधान दिवस?
संपूर्ण समाधान दिवस उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्त्वपूर्ण पहल है, जिसमें प्रत्येक शनिवार को जिला एवं तहसील स्तर पर प्रशासनिक अधिकारी जनता की समस्याएं सुनते हैं और तत्काल समाधान का प्रयास करते हैं। लेकिन इस तरह की घटनाएं इस व्यवस्था की गंभीरता पर सवाल खड़े कर देती हैं।
निष्कर्ष:
समाधान दिवस का मुख्य उद्देश्य जनता की समस्याओं का समयबद्ध समाधान करना है, लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारी खुद तय समय पर न पहुंचें, तो आम जनता का भरोसा उठना स्वाभाविक है। लखनऊ प्रशासन को चाहिए कि ऐसे आयोजनों की गंभीरता को समझते हुए समयबद्धता और उत्तरदायित्व का पालन करे।