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Article 370 Verdict: भारत के संविधान से चलेगा जम्मू-कश्मीर, 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश

Article 370 Verdict: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के बाद से यह भले ही देश का हिस्सा बन चुका है, पर आतंक की राजनीति करने वालों को भारत सरकार का यह फैसला आज भी गलत लग रहा है। जम्मू-कश्मीर में जहां भारत माता की जय बोलना, मौत को गले गलाना जैसे था, आज वहां के लाल चौक पर भारत का तिरंगा शान से फहर रहा है। इंसानियत के दुश्मनों को जम्मू-कश्मीर में शांति रास नहीं आ रही है और वह यहां एकबार फिर से अनुच्छेद 370 (Article 370) लागू करने की मांग पर अड़े हुए हैं। हालांकि ऐसे लोगों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से मुंह की खानी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संवैधानिक पीठ ने 11 दिसंबर अनुच्छेद 370 (Article 370) पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारत सरकार के आर्टिकल-370 (Article 370) हटाने के फैसले को सही ठहराया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आर्टिकल-370 (Article 370) को जम्मू-कश्मीर से बेअसर कर नई व्यवस्था से राज्य को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। आर्टिकल 370 हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। सीजीआई ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “हमें सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा। जबकि लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र रहेगा। हम आदेश देते हैं कि चुनाव आयोग नए परिसीमन के आधार पर 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य का दर्जा भी जितना जल्द संभव हो, बहाल किया जाए।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 16 दिनों की बहस के बाद 5 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अनुच्छेद 370 पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने विचार किए गए मुख्य सवालों पर कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर कोई फैसला नहीं लिया है। स्थिति के अनुसार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां दी गई हैं। जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए। राष्ट्रपति शासन के दौरान यहां केंद्र राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है। राज्य विधानसभा की जगह संसद काम कर सकता है।

भारत का संविधान ऊंचा

कोर्ट ने कहा, जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर हस्ताक्षर किए, तो जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई। वह भारत के अधीन हो गया। इससे साफ है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर के संविधान से भारत का संविधान ऊंचा है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से यहां तेजी से विकास शुरू हो गया है। आतंकी घटनाओं में भी कमी आई है। हालांकि वर्षों से डर और दहशत की जिंदगी जी रहे लोगों के लिए शांति बहाली की दिशा में अभी और काम होना बाकी है।

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