दोनों संस्थानों ने 7 राज्यों के 25 स्कूलों और 123 गांवों में जल सुरक्षा और स्रोत की स्थिरता की दिशा में काम करने के लिए स्वच्छ पेयजल परियोजना का जिम्मा संभाला
Piramal Foundation: पीरामल फाउंडेशन और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने एक साथ मिलकर फाउंडेशन की वाटर पहल, पीरामल सर्वजल और इनेबल हेल्थ सोसाइटी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के 5 लाख लाभार्थियों को स्वच्छ पेयजल प्रदान करने की जरूरतों को पूरा किया है। इस कार्यक्रम की कमान 50 फीसदी महिलाओं ने संभाली जोकि विलेज वाटर कमिटी (वीडब्लूसी) की सदस्य हैं। यह कार्यक्रम अब 7 राज्यों के 25 स्कूलों और 123 गांवों में एकीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें जल सुरक्षा और स्रोत की स्थिरता पर पूरा ध्यान दिया जाता है।
पीने के पानी के गंभीर संकट से निपटने के लिए इस कार्यक्रम ने समुदाय के स्वामित्व को प्रेरित किया। इसके लिए विकेंद्रीयकृत पेय जल इकाइयों के साथ जल संरक्षण के प्रयासों की योजना बनाने और उसकी निगरानी करने के लिए ग्रामीण स्कतर पर संस्थाएं बनाई गई। इससे महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में पानी की सुरक्षा के लिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा दिया जाएगा। इस समय 417 वुमन वीडब्ल्यूसी मेंबर्स है, जो जमीनी स्तर पर प्रशासन का नेतृत्व कर रही हैं और जल संरक्षण, कृषि दक्षता और ग्रे वाटर प्रबंधन की दिशा में अपने गांवों में समाधान को मैनेज करने में योगदान दे रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत 34 महिला ऑपरेटरों को तैनात किया गया है और उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है, जो स्थानीय स्तर पर बदलाव लाने में अपनी जिम्मेदारी निभा रही है ।
यह उल्लेखनीय है कि 49 फीसदी गांव महत्वाकांक्षी जिलों में स्थित हैं जिनका मानव विकास सूचकांक काफी बहुत कम है। यह कार्यक्रम जल संसाधनों के आसपास सामुदायिक स्वामित्व के निर्माण पर ध्यान देता है और इसने इन क्षेत्रों में वीडब्लूसी की नियुक्ति कर उन्हें सशक्त बनाया है। इस भागीदारी ने किसानों को कृषि दक्षमता पर सेशंस प्रदान करके उन्हें लाभ भी पहुंचाया है। उन्हें खेती के नए-नए प्रभावी तकनीकों की जानकारी देकर सशक्त किया गया और 1.9 करोड़ रुपये की लागत की कृषि संबंधी पहलों के लिए सरकारी योजनाओं तक पहुंच बनी।
भारत में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में हेड ऑफ सस्टेनेबिलिटी करुणा भाटिया ने इस कार्यक्रम से 5 लाख लोगों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे में कहा, “हमें यह देखकर बेहद खुशी हो रही है कि इनेबल हेल्थ सोसाइटी और पीरामल फाउंडेशन की वाटर पहल के साथ साझेदारी में बैंक के महत्वपूर्ण सीएसआर प्रोग्राम डब्ल्यूएएचएसचई (वाटर सैनिटेशन हाइजीन एजुकेशन) चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण समुदायों को सिर्फ स्वच्छ पानी ही मुहैया नहीं कराया जा रहा है बल्कि उन्हें जल संसाधनों के लिहाज से सुरक्षित बनाया जाता है। स्थानीय समुदाय, खासकर महिलाओं से जुड़कर हम उन्हें जल संरक्षण के उपायों को अपनाने के लिए तैयार कर रहे हैं। इससे कृषि कार्यों में लगने वाले पानी में कमी आएगी, इससे बॉशबेसिन, बाथरूम और किचन के पानी (ग्रे वाटर) का दोबारा इस्तेमाल होगा। यह बैंक की स्थायी सामाजिक और आर्थिक विकास में दीर्घकालिक मूल्य का निर्माण करने की प्रतिबद्धता से मेल खाती है।”
पीरामल फाउंडेशन में लीड क्लाइमेट और सस्टेनेबिलिटी प्रोग्राम की हेड संगीता ममगैन ने कहा, “हमें यह देखकर बेहद खुशी हो रही है कि समुदाय का मालिकाना हक रखने वाले लोग विकेंद्रीयकृत सुरक्षित पीने के पानी के विकल्पों को अपना रहे हैं। पानी की सुरक्षा के लिहाज से उनके व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा है। हमने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और इनेबल हेल्थ सोसाइटी के साथ मिलकर सात राज्यों में 5 लाख लाभार्थियों के लिए यह लक्ष्य हासिल कर लिया है।”
पीरामल सर्वजल अपने विकेंद्रीयकृत कार्यक्रमों की विश्वसनीयता ओर जवाबदेही बढ़ाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने में अग्रिम मोर्चे पर रहा है। आईओटी के जरिये 751 वॉटर सोल्यूशंस की निगरानी करते हुए वे 2.79 करोड़ लीटर पानी के संरक्षण और पुर्नप्राप्ति को मापते हैं। इसमें स्टोरेज और बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर का कुशल प्रबंधन सुनिश्चात किया जाता है। इनेबल हेल्थ सोसाइटी द्वारा की गई इम्पैक्ट स्टडी के मुताबिक सुरक्षित पानी पीने वाले लोगों में जलजनित बीमारियों का खतरा 76 फीसदी तक कम होता है। इसके अलावा, आंकड़ों से पता चला कि 18 महीने की अवधि में सर्वजल यूजर्स का मेडिकल बिल, नॉन यूजर्स की तुलना में 61 फीसदी से ज्यादा कम आया। इससे सुरक्षित पेय जल तक पहुंच के अनगिनत लाभ सामने आए हैं।