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Prayagraj: 37 साल पुराने मामले में इलाहबाद हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

सात लोगों की हत्या के मामले में बृजेश सिंह बरी

Prayagraj: पूर्व विधान परिषद बृजेश सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 37 साल पहले एक ही परिवार के 7 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में बृजेश सिंह नामजद थे। बता दें कि इस मामले में कुल 13 लोग आरोपी थी। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चली और उसके बाद अब कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने बृजेश सिंह को इस मामले में बरी कर दिया है। वहीं बृजेश सिंह के साथ 8 और आरोपियों को कोर्ट ने बरी किया है। जबकि इसी मामले में 4 आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, क्योंकि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत है। कोर्ट ने बृजेश सिंह समेत 9 आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया है। 9 नवंबर को कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 2018 में ट्रायल कोर्ट ने बृजेश सिंह समेत सभी 13 को बरी कर दिया था। इसके बाद यूपी सरकार और पीड़ित पक्ष ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पीड़ित परिवार की महिला हीरावती इस मामले को 37 साल से लड़ रही हैं। इस हत्याकांड में हीरावती के पति, उनके 2 देवर और परिवार के चार बच्चों की हत्या हुई थी। हीरावती की बेटी भी इस हत्याकांड में बुरी तरह से घायल हुई थी।

जानें कब का है मामला

ये निर्मम हत्या 10 अप्रैल, 1986 में हुई थी। ये बलुआ थाना क्षेत्र के सिकरौरा की घटना थी और तब ये इलाका वाराणसी जिले में आता था। हालांकि बाद में चंदौली जिला बना और ये इलाका चंदौली में आ गया। आईपीसी की धारा 148, 149, 302, 307, 120बी एवं आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। हीरावती की बेटी शारदा इस हत्याकांड में गंभीर रूप से घायल हुई थी और घटना की चश्मदीद थी। हालांकि ट्रायल कोर्ट ने शारदा के बयान को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि घटना के समय अंधेरा था।

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