उत्तर प्रदेशदुनियादेश

इंदौर ने दिए भारतीय पत्रकारिता को चमकते सितारे

इंदौर: इंदौर के पत्रकारों ने युग प्रवर्तन किया है। भाषा, भाव और संदेश का जितना सुंदर समन्वय इंदौर की पत्रकारिता करती है उतना कहीं और नहीं हो सकता। यह शहर सभी को आत्मसात करता है। इंदौर के लोग मूल्यों के प्रति समर्पित हैं और यही कारण है कि इंदौर से प्रकाशित हो रही पत्रिका ‘वीणा’ अपने प्रकाशन की शताब्दी पूर्ण कर रही है। इंदौर के जो पत्रकार दिल्ली और मुंबई गये, वे अपने साथ मालवा और इंदौर के भाषायी संस्कार लेकर गये। इंदौर ने भारतीय पत्रकारिता को चमकते सितारे दिए हैं। यह बात आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के अंतर्गत वीणा संवाद केन्द्र में मीडिया विमर्श का विशेषांक ‘‘मीडिया का इंदौर स्कूल’’ का लोकार्पण के अवसर पर कहीं।

उन्होंने कहा कि इंदौर किसी को पराया नहीं मानता, जो यहां आता है वो यहां बस जाता है। इंदौर सांस्कृतिक शहर है। जो शहर बांधता है, वही रचाता भी है। दिल्ली में बैठकर भी वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र माथुर इंदौर के बारे में सोचते थे और उनमें इंदौर बसता था। माणिकचंद बाजपेयी और प्रोफेसर कमल दीक्षित यह बता सकते हैं कि पत्रकार कितने सरल होते हैं। यह इस शहर का सामर्थ्य है यहां से इतने गुणवान पत्रकार आते हैं।

उन्होंने बताया कि मीडिया विमर्श भाषाई सद्भावना को रेखांकित करने का काम कर रहा है। मीडिया विशेषांक ने विविध विषयों पर अंक निकाले हैं। इंदौर में बहुत सीखने को मिलता है और आज भी सीखने को मैं सीखकर लौट रहा हूँ। प्रोफेसर द्विवेदी ने इंदौर के तमाम दिवंगत पत्रकारों और उनकी पत्रकारिता के काम का उल्लेख भी किया।

समिति के प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर ने कहा कि आज देश में हिंदी पत्रकारिता का सबसे ज्यादा दबदबा इंदौर का है। जैसे संगीत का घराना होता है वैसे ही इंदौर पत्रकारिता का घराना है। इंदौर में जिन पत्रकारों ने जन्म लिया या जिन्होंने यहां काम किया उन्होंने इस घराने को समृद्ध बनाया। यहां के पत्रकारों को देखकर कोई कल्पना नहीं कर सकता कि वे कर्म से इतने बड़े होने के बाद भी कितनी सादगी रखते थे।

प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका वीणा के संपादक राकेश शर्मा ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि अब इंदौर का पूरा मीडिया स्कूल हमें एक किताब में पढ़ने और देखने को मिलेगा। प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने महत्वपूर्ण नारा दिया है कि पत्रकारिता समाधान मूलक होना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है। मीडिया को सांस्कृतिक और समावेशी होना चाहिए। सृजन और पत्रकारिता का काम यही है कि वह समाधान भी बताये। हम अपने शब्दों को मानक रूप में पेश करें वह काम पत्रकारिता का है।

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की पत्रकारिता और जनसंचार अध्ययनशाला की प्रमुख डॉ. सोनाली नरगुंदे ने कहा कि मीडिया विमर्श ऐसी पत्रिका है जिससे रिसर्च स्कालर्स को विविध सामग्री मिलती है। संपादक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने अलग-अलग भाषाओं पर अंक निकाला है यह बधाई का विषय है। इंदौर अपने आप में पत्रकारिता का स्कूल है। प्रोफेसर संजय द्विवेदी की हर किताब का कवर पेज बहुत आकषर्क होता है। प्रिंट मीडिया को जीवंत बनाने में मीडिया विमर्श पत्रिका का विशेष योगदान है। संजय द्विवेदी जिस तरह से विषय को पेश करते हैं वो उसे पठनीय बनाते हैं। आईआईएम में महानिदेशक के कार्यकाल में आईआईएमसी में जर्नल प्रकाशित होने का श्रेय संजय द्विवेदी को ही जाता है।

कार्यक्रम का संचालन अंतरा करवड़े ने किया तथा वीणा केन्द्र की संयोजिका डॉ. वसुधा गाडगिल ने आभार माना। इस अवसर पर सदाशिव कौतुक, प्रभु त्रिवेदी, संतोष मोहंती, अखिलेश राव, प्रदीप नवीन, अश्विन खरे, मुकेश तिवारी, अर्पण जैन, अर्चना शर्मा, घनश्याम यादव, राजेश शर्मा, डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, उमेश नेमा, डॉ रामकिशन सोमानी, विजय सिंह चौहान, सोहन दीक्षित, छोटेलाल भारती, संदीप पालीवाल, गौरव गौतम, नेहा उदासी, यशवंत काछी, आदि उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button